कोयला गैसीकरण ( Coal Gasification ) के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में
संदर्भ :-
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ( JSPL ) द्वारा छत्तीसगढ़ में स्थित अपने रायगढ़ संयंत्र में एक कोयला गैसीकरण ( Coal Gasification ) संयंत्र स्थापित करने की योजना है । यह इस प्रकार का देश में दूसरा संयंत्र होगा ।
महत्व :-
भारत 2030 तक बिजली संयंत्रों में कोयले की खपत को आधा करने और इसके समग्र कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है । ‘ कोयला गैसीकरण ‘ को भट्टियों में जीवाश्म ईंधन को जलाने का एक हरित विकल्प माना जाता है ।
‘ कोयला गैसीकरण ‘ क्या है ?
- कोयला गैसीकरण ( Coal Gasification ) कोयले को संश्लेषित गैस ( Synthesis Gas ) , जिसे सिनगैस ( syngas ) भी कहा जाता है , में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया में कार्बन मोनोऑक्साइड ( CO ) , हाइड्रोजन ( H2 ) , कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2 ) , प्राकृतिक गैस ( CH4 ) , और जल वाष्प ( H2O ) के मिश्रण से सिनगैस का निर्माण लिया जाता है ।
- गैसीकरण के दौरान , कोयले को उच्च दबाब पर गर्म करते हुए ऑक्सीजन तथा भाप के साथ मिश्रित किया जाता है ।
- इस अभिक्रिया के दौरान , ऑक्सीजन और जल के अणु कोयले का ऑक्सीकरण करते हैं और सिनगैस का निर्माण करते हैं ।
गैसीकरण के लाभ :
- गैस का परिवहन , कोयले के परिवहन की तुलना में बहुत सस्ता होता है ।
- स्थानीय प्रदूषण समस्याओं का समाधान करने में सहायक होता है ।
- पारंपरिक कोयला दहन की तुलना में अधिक दक्ष होती है क्योंकि इसमें गैसों का प्रभावी ढंग से दो बार उपयोग किया जा सकता है : कोयला गैसें पहले अशुद्धियों को साफ करती है और विद्युत् उत्पादन हेतु टरबाइन में इनका उपयोग किया जाता है । गैस टरबाइन से उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा का उपयोग ‘ भाप टरबाइन – जनरेटर ‘ में भाप उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है ।
✓ चिंताएँ और चुनौतियाँ :-
- कोयला गैसीकरण ऊर्जा उत्पादन के अधिक जल- गहन रूपों में से एक है ।
- कोयला गैसीकरण से जल संदूषण , भूमि – धसान तथा अपशिष्ट जल के सुरक्षित निपटान आदि के बारे में चिंताएं उत्पन्न होती हैं ।
भारत की कोयले पर निर्भरता :-
- भारत वर्तमान में , कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक , उपभोक्ता और उत्पादक देश है , और इसके पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है ।
कोयला क्षेत्र में हालिया सुधार :
- कोयले के वाणिज्यिक खनन को अनुमति प्रदान की गयी है , जिसके तहत निजी क्षेत्र को 50 ब्लॉक की पेशकश की जाएगी ।
- बिजली संयंत्रों को ” प्रक्षालित / धुला हुआ ” कोयले का उपयोग करने की अनिवार्यता संबंधी विनियमन को हटा कर ‘ प्रवेश मानदंडों को उदार बनाया जाएगा ।
- निजी कंपनियों को निश्चित लागत के स्थान पर राजस्व बंटवारे के आधार पर कोयला ब्लॉकों की पेशकश की जाएगी ।
- कोल इंडिया की कोयला खदानों से ‘ कोल बेड मीथेन ( CBM ) निष्कर्षण अधिकार नीलाम किए जाएंगे ।