About Maharana Pratap (महाराणा प्रताप) 2023
About Maharana Pratap (महाराणा प्रताप)
महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के महाराणा उदय सिंह के पुत्र के रूप में 9 मई 1940 ईस्वी में चित्तौड़ में जन्म लिया | महाराणा प्रताप सिंह के 23 भाई और थे | प्रताप इनमें सबसे बड़े थे | सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार करने के कारण अखबार एक बड़ी भारी फोर्स लेकर मेवाड़ पर चढ़ आया |
राणा उदय सिंह चित्तौड़ से भागकर अरावली पहाड़ पर डेरा डाला और वहां पर धीरे-धीरे उदयपुर नामक राजधानी बनाई | चित्तौड़ के युद्ध के 4 साल बाद महाराणा उदय सिंह का मृत्यु हो गई | राणा प्रताप बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और स्वाभिमानी थे | प्रताप का राजतिलक एक 30 वर्ष की उम्र में हुआ |
अकबर के तौर पर अधिकार करने के कारण सारा खजाना चित्तौड़ किले में रह गया था तथा बहुत से राजपूत सैनिक भी अकबर के साथ युद्ध करते हुए मारे गए थे | राणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह, जगमाल अकबर की शरण में चले गए |
महाराणा प्रताप अटूट साहसी और वीर थे |
वे कठिनाइयों से तनिक भी विचलित नहीं हुए | वह हर समय अपनी जन्मभूमि में मेवाड़ को आजाद कराने की धुन में लगे रहते थे |राणा प्रताप ने सभी सरदारों को बुलाया तथा उनमें जोश भरने के लिए निम्न प्रतिज्ञा की मैं चित्तौड़ को जीते भी ना सोने चांदी के बर्तनों की जगह पदों पर भोजन करूंगा, मखमली बिस्तर पर सोने के बदले जमीन पर सोऊंगा, महलों की जगह झोपड़ी में रहूंगा और तब तक मैं अपने बाल नहीं बनवाऊंगा |
इस प्रतिज्ञा को प्रताप ने मरते दम तक निभाया सरदारों की सहमति बनने पर प्रताप ने अकबर से युद्ध करने की तैयारियां शुरू कर दी | अकबर ने उनसे मित्रता करनी चाही लेकिन प्रताप अपने संकल्प पर अडिग रहें | उदयपुर को असुरक्षित समझकर प्रताप ने जनता को कोमलमीर की घाटी में चला जाने का आदेश दिया तथा खुद साथियों के साथ कोमलमीर दुर्ग में पहुंच गए |
सम्राट अकबर ने अपने दो लाख की सेना को सलीम के नेतृत्व में राणा प्रताप का दमन करने के लिए भेजा | सेना के साथ मानसिंह, शक्तिसिंह भी गए | महाराणा प्रताप और मानसिंह की सेनाओं के बीच “हल्दीघाटी” में भीषण युद्ध हुआ | प्रताप बड़ी बहादुरी से लड़े उन्होंने मानसिंह और सलीम पर भाला का प्रहार किया लेकिन वे दोनों बच गए |
इधर मुसलमान सिपाहियों ने प्रताप को घेर लिया लेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और लड़ते ही रहे | झाला के राणा मानसी ने देखा कि प्रताप घायल तथा थके हुए हैं तो उसने प्रताप के सिर के छात्र को अपने ऊपर रख लिया तथा प्रताप को सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा | झाला राणा को प्रताप समझकर मुसलमान सैनिकों ने उसे मार डाला |
राणा प्रताप को सुरक्षित स्थान की तरफ जाने में 2 मुसलमान सैनिक अवसर उनके पीछे हो लिए यह दृश्य शक्ति से भी देख रहा था उसने दोनों अफसरों को रास्ते में मार दिया तथा प्रताप से क्षमा मांगी | प्रताप को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद उनके घोड़ा चेतक ने दम तोड़ दिया | हल्दी घाटी के युद्ध में प्रताप के 22000 सैनिकों में अधिकांश मारे गए तथा महाराणा प्रताप पराजित हुए |
हल्दीघाटी के युद्ध के बाद राणा प्रताप के तीन बड़ी कठिनाइयों में बीते | उनके परिवार को जंगली फल, फूल व घास की रोटियां द खानी पड़ी | इन कष्टों को झेलकर भी उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की |
1 दिन में राणा प्रताप पूर्वजों का मंत्री भामाशाह ने प्रताप को 25 हजार मोहरे भेंट की | यह ध्यान की मदद से प्रताप ने भीलो तथा राजपूतों की विशाल सेना तैयार की | अबे पुन: मुगलों से युद्ध होने लगे | कई वर्षों में धीरे-धीरे महाराणा प्रताप ने 22 किलो जीत लिए |2 किलो जीतने से रह गए |इनके अलावा सारा मेवाड़ राज्य जीत लिया |
महाराणा प्रताप ने से आसन पर बैठते समय चित्तौड़ किले को जीतने की प्रतिज्ञा की थी | महाराणा प्रताप चितौड़ को अपनेअधिकार में लाने के प्रयत्न में थे सन 1597 ने उन्हें मृत्यु ने आ घेरा |
मरते समय बेटा मर से को बुलाकर चित्तौड़ को आजाद कराने को कहा हम अरसे से बच्चन लेने के बाद उनकी आत्मा स्वर्ग सिधार गई | राणा प्रताप ने अपने 25 वर्ष के शासनकाल में ऐसी कीर्तिदेर से निकलेगा फैलाई जो देश काल की सीमा को पार कर अमर हो गई |