Hindi Poetry (हिंदी शायरी) : मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख 2023

Hindi Poetry (हिंदी शायरी) : मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख 2023

Hindi Poetry ( हिंदी शायरी ) : मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख…
फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख…

तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले…
तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर देख…

तू है अगर तू ही है मेरी नज़र में बस…
मेरी सबरे ख़ामोशी का शवव समझ कर देख…

मैं कहती हूं इश्क़ ही हो जायेगा मुझसे…
तू मेरी किसी ग़ज़ल का मतलब समझ कर देख…

है आरजू अगर आरजू को आरजू ही रख…
तन्हाइयों में जीने का अदब समझ कर देख…..

CHAIRMAN & MANAGING DIRECTOR

दिल उदास है बहुत कोई पैगाम ही लिख दो
तुम अपना नाम न लिखो, गुम-नाम ही लिख दो

मेरी किस्मत में ग़म-ए-तन्हाई लेकिन
तमाम उम्र न लिखो मगर एक शाम ही लिख दो

रूरी नहीं कि मिल जाये सुकून हर किसी को
सरे-ए-बज़्म न आओ मगर बेनाम ही लिख दो

ये जानती हूँ कि उम्र भर तनहा मुझे रहना है
मगर पल दो पल, घङी दो घङी, मेरे नाम ही लिख दो

लो हम मान लेते हैं कि सज़ा के मुस्तहिक ठहरे हम
कोई इनाम न लिखो कोई इलज़ाम ही लिख दो।…….

By: Dayanand Sir Alias Deepak Sir 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *