Love Poem: समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के, अगली मोहब्बत में 2023
Love Poem: समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों को,
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।

मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख…
फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख…
तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले…
तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर देख…
तू है अगर तू ही है मेरी नज़र में बस…
मेरी सबरे ख़ामोशी का शवव समझ कर देख…
मैं कहती हूं इश्क़ ही हो जायेगा मुझसे…
तू मेरी किसी ग़ज़ल का मतलब समझ कर देख…
है आरजू अगर आरजू को आरजू ही रख…
तन्हाइयों में जीने का अदब समझ कर देख…..
बदनसीबी देखो मुझे उसका दीदार नसीब ना हुआ
मंदिर, मस्जिद, दरगाह कहां कहां घूम लिया होगा,
जब गुजरा उसकी गली से तो कांच के टुकड़े पड़े थे
शायद उसने देखकर खुद को आइना चूम लिया होगा।
गुज़र गया वो वक़्त
जब तेरी हसरत थी मुझको,
अब तू खुदा भी बन जाए
तो भी तेरा सजदा ना करू।